Tuesday, May 26, 2009

Famous Hindi poems

Sarfaroshi ki Tamanna


सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
- By Ram Prasad Bismil

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।

रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में
लज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है ।

यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।

ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।

खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद,
आशिकों का जमघट आज कूंचे-ऐ-कातिल में है ।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

है लिये हथियार दुश्मन ताक मे बैठा उधर
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ जिनमें हो जुनून कटते नही तलवार से
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भडकेगा जो शोला सा हमारे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से निकले ही थे बांधकर सर पे कफ़न
जान हथेली में लिये लो बढ चले हैं ये कदम
जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल मैं है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

दिल मे तूफानों की टोली और नसों में इन्कलाब
होश दुश्मन के उडा देंगे हमे रोको न आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंजिल मे है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

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Friday, May 22, 2009

Hindi Poems - Hum Phir Melenge

Hindi Poems 

हम फिर मिलेंगे

फिर मिला देना हमें ऐ आसमान,
अगर मिल जाए तुझको वक्त कहीं,
कि अब उन्हें जाने से कैसे रोक लें हम,
कि उनके आँसुओ पर भी हमारा हक नहीं ।

मेरी अनछुई हसरतें बन गई एक हसीन भ्रम तो क्या,
ये दुरियाँ, मज़बुरियाँ फैली दूर तक सही,
पर मुझे होश में आने से रोक ले कोई,
कि अभी तक पहुँचे ख्वाबों के दहलीज तक नहीं ।

जो देखा सुना उसे सच मान बैठे,क्या करें,
भला अपनी आँखों पर तो करता कोई शक नहीं,
उसकी हँसी को नाम देने में अनमोल पल खो दिए,
हर रिस्ते का कोई नाम हो,इसकी जरुरत तो नहीं ।

प्रेम की एक भींगी किरण ह्रिदय में मचलती तड़पती रह गई,
खुद से थोड़ा नाराज़ और दुखी हूँ मैं क्यों लब मेरे खुले आज तक नही,
छुरियों की धार से हाथ की रेखाएँ नही बदली जाती,
जहाँ भी हो खुश रहो अगर फिर मुझे किसी से कोई शिकायत नही ।

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Friday, May 15, 2009

HIndi Poems - शहीदों की मौत होती सबको हासिल नहीं है

न्याय का बना बैठा रक्षक वही है जो
ख़ुद सर उठाने के काबिल नही है
तेरा सर उठता भी है तो भर के आँखों में आंसू
तू मर्द कहलाने के काबिल नही है |

बारूद का कालिख पोत गया कोई मुंह में
फ़िर भी खून तुम्हारा खौलता नही है
ये न सोंचो की बच जाओगे ओढ़ कर कायरता की चादर 
कीडे मकोडों की मौत ,अरे मिलनी तुमको भी वही है |

राज जानते हो फ़िर भी खोये हो किस सोंच ,भंवर में
कुछ तो ऐसा करो की उठ सको अपनी नज़र में
हाँ,हर तरफ़ जंगल है और आग सी लगी है
कब तक रोते रहोगे हाथ मलते बैठे घर में |

कितना जोर का तमाचा मार गया कोई गाल पर
अब तो तरस खाओ अपने हाल पर
अभी भी पशुता न छोड़ी तो दिन दूर नही
जब बांधे जाओगे खूंटे से रस्सी डाल कर |

बस एक बार कदम उठा कर तो देखो
ख़ुद को जलाना इतना भी मुश्किल नही है
मर भी गए परवाने तो कोई गम नहीं
शहीदों की मौत होती सबको हासिल नहीं है |

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Thursday, May 14, 2009

Hindi-Poems -नई सोच

Hindi Poems -नई सोच


पानी के कुछ बुलबुलों में दुनिया जहान को डूबते देखा है,
सभ्यता की नई गलियों में इन्सान को मिटते देखा है,
गूँज वही है पर साज़ नए हैं,
आँसू वही हैं पर बहने के अंदाज नए है,
कितने अनजाने आए और मित्र बन गए,
और कुचले हुए गुलाब भी ईत्र बन गए,
पर आने वाले वक्त को किसने देखा है,
सभ्यता की नई गलियों में इन्सान को मिटते देखा है ।

जिन सवालों को लेकर चले थे,
जब उनके जवाब हीं बेमाने हो गए,
तो खुद ब खुद बंद होने लगीं खिड़कियाँ,
लोग कितने सयाने हो गए,
दिल हो गए पत्थर के जब से,
मैने खुद को दीवारों से बातें करते देखा है,
सभ्यता की नई गलियों में इन्सान को मिटते देखा है ।

ना वैसे कभी चली थी ,ना वैसे कभी चलेगी,
जैसा हम दुनाया के बारे में सोचते है,
फिर क्यों कभी खुद को कभी दुनिया को कोसते है,
अगर मीरा जैसे बनेंगे दीवाने ,
फिर लोग तो मारेंगे हीं ताने,
पर वक्त ने उसी दुनिया को उसके पैरों पर गिरते देखा है,
सभ्यता की नई गलियों में इन्सान को मिटते देखा है ।

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Thursday, May 7, 2009

Hindi Comedy Poems (tum jo mil gayi ho)

Tum jo mil gayi ho

mere samne baithi ho tum nahi ho raha hai yakin ,
bahon me bher lo mujhe pagal na ho jaaun kahi ,
kal jo nigahe milane se bhi derti thi ,
aaj bateien ker rahi hai kitni itminaan se ,
ab tum jo mujhe mil gayi ho mujhe aur kya chaahiye is jahan se !

tum bhi mujh per marte the mujhko nahi tha pata ,
samjhi magar der se , isme hai meri khata ,
tum chahe jo bhi saja do ,
hus ker gujar jaaongi mai her intihaan se ,
ab tum jo mujhe mil gaye ho mujhe aur kya is jahan se !


bahar aye ya jaye mujhe gam nahi ,
meri jaan tum khud kisi bahar se kam nahi ,
tum jab bhi hasti ho aisa lagata hai ,
jaise phool barasne lage ho asmaan se ,
ab tum jo mujhe mil gayi ho mujhe aur kya is jahan se !


apsra mujhe kahte ho , kahte ho mujhko pari ,
ek baar fir soch lo kahi ye dokha to nahi ,
taarif na meri itni kijiye ki ,
mai khud janle lagoo apni jaan se ,
ab tum jo mujhe mil gaye ho mujhe aur chahiye is jahan se !

agar dokha ho itna hasin ,
fir mujhe zamane ki parwah nahi ,
are pyaar me to hota yahi hai ,
aag lagti yaha pe to dhuan uthta waha se ,
ab tum jo mujhe mil gayi ho mujhe aur kya chahiye is jahan se !

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Hindi Comedy Poems (ghadi dekh ker...)

(ghadi dekh ker...)
jab mai paida hua log kush hone se pahle bhagee samay note ghadi dekh ker ,
roz pitaji uthte ghadi dekh ker ,
chai pite ghadi dekh ker,
nahane jaate to ghadi dekh ker ,
office bhi jaate to ghadi dekh ker ,
roz mummi bolti ter pitaji abhi tak nahi ayee ghadi dekh ker ,
pitaji gher aate gadhi dekh ker ,
samachar sunte ghadi dekh ker ,
khana khate ghadi dekh ker ,
aur sone bhi jaate to ghadi dekh ker !!!!!!!!!



jab mai toda bada hua roz school jaane laga ghadi dekh ker ,
lunch aur chhutti bhi hoti to ghadi dekh ker ,
ek din gher der se pahucha to maa boli itni der kaha laga di ghadi dekh ker ,
mai bola jab mere pass ghadi hi nahi hai to gher kaise aawoon ghadi dekh ker ,
mil gayi mujhe ek nai ghadi ,
sabhi kush hote the dekh ker mujhko ghadi-ghadi ,
per kush hota bhi tha to
ghadi dekh ker !!!!!!!!!

bada ho ker roz interview dene jaya keta tha ghadi dekh ker ,
aur naukri mili bhi to mujhe aati jaati train ki suchi banani thi ghadi dekh ker ,
meri shadi ki baat chalayi gayi subh ghadi dekh ker ,
aur jab mandap me baitha to panditji bole teri shadi bhi suru hogi ghadi dekh ker
meri patni ko nahi aati thi dekhne ghadi ,
phir paresaan kaise hoti ghadi dekh ker ,
ghadi ghadi mai bechain rahata tha ,
aur bechain hojata tha
ghadi dekh ker !!!!!!!!

ek din film dekhne bhi gaya to karmchari bola ,
show ab suru hi hoga ghadi dekh ker ,
ghadi dekhte dekhte mera ser ghadi sa ghoomne laga ,
bimar pada doctor ke pas gaya ,
docter ne nabz pakdi fir bola appko bukhar hai ghadi dekh ker ,
her do ghante per dawa khaaiyega ghadi dekh ker ,
ab bhala jis karan bimar pada ,
thik kaise ho sakta tha ose dekh ker ,
sab kahne lage iske marne ka time aa gaya hai ,
aur sachh hi hai aaj mer bhi raha hu to ghadi dekh ker !!!!!!!!

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Hindi Comedy Poems (तुम‌ जॊ मुझॆ मिल गई हॊ)

(तुम‌ जॊ मुझॆ मिल गई हॊ)

मॆरॆ सामनॆ बैठी हॊ तुम नही हॊ रहा है यकिन‌
बाँहॊ मॆ भर लॊ मुझॆ पागल ना हॊ जाऊ कही
क‌ल जॊ निगाहॆ मिलानॆ सॆ भी ड‌र‌ती थी ,आज बातॆ कर‌ र‌ही कित‌नी इत्मिनान‌ सॆ
अब‌ तुम‌ जॊ मुझॆ मिल गई हॊ मुझॆ और क्या चहियॆ इस जहान सॆ !


तुम भी मुझ प‌र‌ म‌र‌तॆ थॆ मुझ‌कॊ न‌ही था पता
मगर दॆर सॆ इसमॆ है मॆरी खता
तुम चाहॆ जॊ भी सजा दॊ हंस कॆ गुजर जाउगी मै हर इन्तिहान सॆ
अब‌ तुम‌ जॊ मुझॆ मिल गऎ हॊ मुझॆ और क्या चहियॆ इस जहान सॆ !


बहार‌ आयॆ या जायॆ मुझॆ ग‌म‌ न‌ही
मॆरी जान‌ तुम‌ खुद‌ किसी बहार‌ सॆ क‌म‌ न‌ही
तुम‌ ज‌ब‌ भी ह‌स्ती हॊ फुल‌ ब‌र‌स‌नॆ ल‌ग‌तॆ है आस‌मान‌ सॆ
अब‌ तुम‌ जॊ मुझॆ मिल गई हॊ मुझॆ और क्या चहियॆ इस जहान सॆ !

अप्सरा मझॆ क‌ह‌तॆ हॊ , क‌ह‌तॆ हॊ मुझ्कॊ परी
ऎक‌बार फिर‌ सॊच‌ लॊ क‌ही यॆ दॊखा तॊ न‌ही
तारीफ‌ ना मॆरी इतनी किजियॆ कि मै खुद् ज‌ल‌नॆ ल‌गू अप‌नी जान‌ सॆ
अब‌ तुम‌ जॊ मुझॆ मिल ग‌ऎ हॊ मुझॆ और क्या चहियॆ इस जहान सॆ !


अग‌र‌ दॊखा हॊ इत‌ना ह‌सिन‌ फीर‌ मुझॆ जमानॆ की प‌र‌वाह‌ न‌ही
अरॆ प्यार‌ मॆ हॊता य‌ही है
आग‌ ल‌ग‌ती य‌हा पॆ तॊ धुआ उठ‌ता व‌हा सॆ
अब‌ तुम‌ जॊ मुझॆ मिल गई हॊ मुझॆ और क्या चहियॆ इस जहान सॆ !

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